Monday, February 15, 2010

पुरानी डायरी से ...३

कहाँ से यह मायूसी छायी, महावीर की मस्ती पर !
शंका क्यों होने लगती है, हमको अपनी हस्ती पर !
इतने डाके कैसे पड़ गए ! इतने चोर कहाँ से आये !
"नाम" का इतना सक्षम प्रहरी लगातार था गश्ती पर !!


...............................(अक्टूबर, १९९५)

नाम : नाम पाहरू दिवस निशि, ध्यान तुम्हार कपाट

No comments:

Post a Comment