Monday, October 26, 2009

अनकही कथायें...

सिर रखकर तेरे मृदुल अंक में , रो लेने का जी करता है!
अनसुने गीत, अनकही कथायें ;
दमित भाव - उद्दमित ब्यथाएं;
हृदय को आंसू की धारा में , धो लेने का जी करता है!
सिर रखकर तेरे मृदुल अंक में , रो लेने का जी करता है!!

No comments:

Post a Comment