लहरों ज्वार भाटे में प्रतिपल प्रश्न उभरते हैं,
मौन गगन का समाधान समझाए कौन समुंदर को।
व्याध बिचारे की गलती से पार्थिव कृष्ण प्रयाण किये ,
अब अर्जुन को कौन दिखाए विश्वरूप के मंजर को।
वक्र वसिष्ठ विश्वमित्र पर वेदव्यास को खोजे कौन,
चिर समाधि में गोरख लीन जगाये कौन मछंदर को।
जारी .....
Sunday, December 5, 2010
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